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    कानूनी साक्षरता कार्यक्रम

    कानूनी साक्षरता मिशन

    लगभग 70% लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं और उनमें से अधिकांश निरक्षर हैं तथा इससे भी अधिक प्रतिशत लोग उन अधिकारों से अनभिज्ञ हैं जो उन्हें क़ानून द्वारा प्रदान किए गए हैं। यहाँ तक कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अनेक शिक्षित लोग भी अपने वैधानिक अधिकारों और पात्रताओं के बारे में नहीं जानते। यही कानूनी जागरूकता की कमी धोखाधड़ी, शोषण और अधिकारों से वंचित रहने का कारण बनती है। लोगों की इस दयनीय स्थिति में सुधार केवल उनके बीच कानूनी जागरूकता फैलाकर ही लाया जा सकता है।

    हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा राज्य में कानूनी जागरूकता अभियान के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:-

    कानूनी साक्षरता / कानूनी जागरूकता शिविर / संगोष्ठियाँ

    इस प्राधिकरण के निर्देशानुसार, सभी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण हरियाणा के दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में सप्ताह में कम से कम एक बार (रविवार/अवकाश के दिन) अनुसूचित जाति/जनजाति, महिलाओं, बच्चों और आमजन से संबंधित विषयों पर कानूनी साक्षरता/जागरूकता शिविर आयोजित करते हैं, ताकि आम नागरिक अपने अधिकारों से अवगत हो सकें।

    कानूनी साक्षरता मिशनों का क्रियान्वयन

    कानूनी साक्षरता को फैलाने के उद्देश्य से हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने विशेष कानूनी साक्षरता मिशन लागू किए हैं।

    प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचार

    हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण, जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरणों और उप-मंडल विधिक सेवा समितियों के माध्यम से पुस्तिकाएँ, पर्चे, फोल्डर वितरित करता है तथा विभिन्न अवसरों पर फ्लेक्स बैनर/कैलेंडर/कैनोपी लगाकर नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों और विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के अंतर्गत मिलने वाली निःशुल्क विधिक सेवाओं के बारे में जागरूक करता है। साथ ही, प्रमुख समाचार पत्रों, केबल टीवी और दूरदर्शन के माध्यम से भी व्यापक प्रचार किया जाता है।

    लोक अदालतों, कानूनी सहायता और कानूनी साक्षरता कार्यक्रमों के प्रचार हेतु हरियाणा सरकार का जनसंपर्क एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया के माध्यम से नुक्कड़ नाटक, लघु नाटिकाएँ, “सवेरा”, “बेटी” और “नशाखोरी से नशा मुक्ति की ओर” जैसी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों का प्रदर्शन करता है। ये फ़िल्में स्थानीय केबल नेटवर्क और मोबाइल वैन के माध्यम से प्रसारित की जाती हैं।

    हाल ही में 9 नवम्बर 2011 को विधिक सेवा दिवस के अवसर पर, माननीय कार्यकारी अध्यक्ष ने दूरदर्शन केन्द्र हिसार पर टॉक शो में भाग लिया, जिसमें HALSA की गतिविधियों को बताया गया और HALSA द्वारा वंचित वर्गों के लिए चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी गई। ऐसा ही एक टॉक शो आकाशवाणी, चंडीगढ़ से प्रसारित किया गया।

    • हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित सामग्री

    EDUSAT के माध्यम से डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों का प्रदर्शन:

    दूरसंचार के क्षेत्र में हालिया प्रगति का उपयोग कानूनी जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से किया जा रहा है। सामाजिक मुद्दों पर बनी डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में जैसे कि “बेटी” (लिंग चयन हत्या पर), “नशाखोरी से नशा मुक्ति की ओर” (नशे की बुराइयों पर), “सवेरा” (विधिक सेवाएं व लोक अदालतों पर) EDUSAT के माध्यम से विद्यार्थियों को दिखाई जा रही हैं।

    महिलाओं हेतु कानूनी साक्षरता कक्षाओं के लिए उठाए गए कदम

    हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने सभी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशकों से अनुरोध किया है कि वे महिला समूहों जैसे NHG/SHG में कानूनी साक्षरता कक्षाएं आयोजित करें और इस प्राधिकरण द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को महिलाओं के बीच वितरित करें। इन पुस्तकों का सेट भेजा गया है और अनुरोध किया गया है कि पर्याप्त संख्या में इन पुस्तकों की प्रतियां प्रकाशित कर महिलाओं को वितरित की जाएँ। यह कक्षाएं जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों द्वारा आयोजित की जा रही हैं।

    कानूनी सहायता अधिवक्ताओं को प्रशिक्षण देने हेतु उठाए गए कदम

    पैनल अधिवक्ताओं हेतु प्रशिक्षण कार्यशाला

    अधिवक्ताओं को विशेष रूप से वंचित वर्गों में कानूनी साक्षरता फैलाने की आवश्यकता और कमजोर वर्गों को उनके अधिकारों और उन अधिकारों को लागू करने के तरीकों के बारे में जानकारी देने की आवश्यकता के बारे में संवेदनशील किया गया। यह भी बताया गया कि HALSA का नाम हर घर में जाना जाना चाहिए और लोग इस पर भरोसा करें। अधिवक्ताओं को निर्देश दिया गया कि वे विद्यालयों और महाविद्यालयों में स्थापित कानूनी साक्षरता क्लबों को सम्बोधित करें। सामाजिक कल्याण, संरक्षण अधिकारी, परियोजना अधिकारी, मनरेगा के अधिकारी भी कार्यशाला में उपस्थित रहे। संरक्षण अधिकारी ने “घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005” पर जानकारी दी और अनुभव साझा किए। सामाजिक कल्याण अधिकारी ने सरकार की विभिन्न योजनाओं जैसे राजीव गांधी परिवार बीमा योजना, राष्ट्रीय परिवार योजना, दुर्घटना मुआवजा योजना आदि की जानकारी दी।

    फ्रंट ऑफिस

    इस प्राधिकरण ने पत्र संख्या 6524-6544 दिनांक 18.05.2010 के माध्यम से “निःशुल्क एवं सक्षम विधिक सेवाएं योजना – 2010” को सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (प्रथम)-सह-ध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को भेजा, ताकि शीघ्र उचित कार्रवाई हो सके। पुनः पत्र संख्या 6028-6048 दिनांक 26.05.2011 द्वारा सभी जिलों से यह पूछा गया कि क्या उनके यहाँ “फ्रंट ऑफिस” की स्थापना की गई है और साथ ही अधिवक्ता/रिटेनर की दिनवार सूची मांगी गई। इसके उत्तर में 9 जिलों (फरीदाबाद, फतेहाबाद, झज्जर, कैथल, करनाल, पलवल, पानीपत, नारनौल, रेवाड़ी और रोहतक) में फ्रंट ऑफिस की स्थापना कर दी गई है। हरियाणा के 21 जिलों में शेष DLSA से शीघ्र फ्रंट ऑफिस स्थापित करने का अनुरोध किया गया है।

    अधिवक्ताओं की पैनल सूची

    सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं उपमंडल विधिक सेवा समितियों ने राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (निःशुल्क सक्षम विधिक सेवाएं) विनियम, 2010 की विनियम संख्या 8 के अनुसार अधिवक्ताओं की पैनल तैयार की है।

    रिटेनर अधिवक्ताओं की नियुक्ति

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (निःशुल्क सक्षम विधिक सेवाएं) विनियम, 2010 की विनियम संख्या 8 के अनुसार, HALSA ने प्रत्येक जिले एवं उपमंडल में 10 DLSA अधिवक्ताओं और 5 SDLSC अधिवक्ताओं को रोटेशन आधार पर रिटेनर नियुक्त किया है। ये रिटेनर कोर्ट परिसर में स्थित “फ्रंट ऑफिस” में कार्यालय समय के दौरान उपस्थित रहते हैं और किसी भी व्यक्ति को कानूनी सलाह व सहायता निःशुल्क प्रदान करते हैं।

    निगरानी समिति

    राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (निःशुल्क सक्षम विधिक सेवाएं) विनियम, 2010 की विनियम संख्या 10(3) के तहत, HALSA ने हर जिले व उपमंडल में एक निगरानी समिति का गठन किया है, जो न्यायालय आधारित विधिक सेवाओं और मामलों की प्रगति की निगरानी करती है।

    HALSA ने वंचित वर्गों के सशक्तिकरण हेतु “LLUP – लीगल लिटरेसी मिशन फॉर अंडरप्रिविलेज्ड” शुरू किया है। इसका उद्देश्य अनाथालयों में रहने वाले उपेक्षित बच्चे, नारी निकेतन में शरण लेने को विवश महिलाएँ, बेसहारा वृद्ध, विकलांग व मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है, ताकि वे अपने जीवन को बेहतर बना सकें।