कानूनी सहायता कार्यक्रम
कानूनी सहायता
रिमांड अवधि हेतु कानूनी सहायता अधिवक्ता
विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12(ग) (1994 में संशोधित) के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति हिरासत में है—चाहे वह संरक्षित गृह, किशोर सुधार गृह या मनोरोग चिकित्सालय/नर्सिंग होम में ही क्यों न हो—तो वह मुकदमा दाख़िल करने या बचाव करने के लिए निःशुल्क विधिक सहायता का हक़दार है। कई विचाराधीन बंदी जो वकील रखने में सक्षम नहीं हैं, अपनी पैरवी न होने के कारण लंबे समय तक जेल में रहते हैं। इसीलिए नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी द्वारा तैयार मॉडल योजना को हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने सभी जिलों व उपमंडलों में लागू किया है, ताकि रिमांड के समय कोई भी व्यक्ति बिना अधिवक्ता के न रहे। ‘कानूनी सहायता अधिवक्ता’ योजना में पैनल पर नियुक्त अधिवक्ता रिमांड अवधि के दौरान न्यायालयों में उपस्थित होकर विचाराधीन बंदियों का प्रतिनिधित्व करते हैं, उन्हें कानूनी सलाह देते हैं और उनके आवेदन दाख़िल करते हैं।
कानूनी सहायता अभियोजन अधिवक्ता हेतु मॉडल योजना
वर्ष 2009 में हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने बलात्कार व महिलाओं एवं बच्चों के विरुद्ध अन्य अपराधों के पीड़ितों के लिए “कानूनी सहायता अभियोजन अधिवक्ता” की मॉडल योजना प्रारम्भ की। इसके तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की पैनल पर मौजूद महिला अधिवक्ता, संबंधित न्यायालय क्षेत्राधिकार वाले थानों में जाकर बलात्कार एवं अन्य लैंगिक अपराधों के पीड़ितों को विधिक सहायता प्रदान करती हैं। मुकदमे की कार्यवाही के दौरान भी ऐसी पीड़िताओं को विधिक सहायता अधिवक्ता की सेवाएँ नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं।
परिणामस्वरूप, पुलिस महानिदेशक, हरियाणा ने 15-9-2009 के पत्र द्वारा समस्त पुलिस आयुक्त (गुरुग्राम व फ़रीदाबाद), जिला पुलिस अधीक्षक व रेलवे पुलिस अधीक्षक, अंबाला कैंट को निर्देश दिए कि वे संबंधित थानों को आदेश दें कि वे मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी-सह-सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा नियुक्त महिला अधिवक्ताओं से पूर्ण सहयोग करें।
यह योजना हरियाणा के सभी जिलों में पूर्ण रूप से लागू कर दी गई है।
राज्य व्यय पर कानूनी सहायता
विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम, 1987 की धारा 12 तथा हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण नियम, 1996 के नियम 19 में उन व्यक्तियों को परिभाषित किया गया है जिन्हें राज्य व्यय पर निःशुल्क विधिक सहायता प्राप्त है। गरीबी, विवशता या सम्पर्कहीनता के कारण जो अभियुक्त वकील नियुक्त नहीं कर सकते, वे राज्य व्यय पर मुफ़्त विधिक सहायता के पात्र हैं। न्यायिक अधिकारी पर यह बाध्य है कि वे
अभियुक्त को उसके इस अधिकार की जानकारी दें और जब तक अभियुक्त स्पष्टतः मना न कर दे, उसे विधिक सहायता उपलब्ध कराएँ।
लाभार्थियों में विश्वास-निर्माण एवं तालुका/उप-मंडल विधिक सेवा समितियों को
सुदृढ़ करने हेतु उठाए गए कदम
हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने निम्न कदम उठाए हैं:
जेलों में स्थायी कानूनी सहायता क्लिनिक/प्रकोष्ठ
HALSA ने हरियाणा की सभी केन्द्रीय/जिला/उप-जेलों में स्थायी कानूनी सहायता क्लिनिक स्थापित किए हैं। ‘कानूनी सहायता अधिवक्ता’ योजना के पैनल अधिवक्ता नियत अंतराल पर जेलों का दौरा करते हैं, अभियुक्तों/दोषियों को कानूनी सलाह देते हैं, उनके आवेदन एकत्र करते हैं और अगले कार्यदिवस पर उन्हें संबंधित न्यायालय में प्रस्तुत करते हैं। अब प्रत्येक दौरे के लिए अधिवक्ताओं को ₹750/- प्रदान किए जा रहे हैं।
गाँवों एवं शहरी क्षेत्रों में स्थायी कानूनी सहायता क्लिनिक
NALSA (लीगल एड क्लिनिक) विनियम, 2011 के अनुसार प्रत्येक गाँव या गाँवों के समूह में कानूनी सहायता क्लिनिक स्थापित किए जाने हैं। HALSA ने हरियाणा के सभी जिलों में अब तक 321 ग्राम्य क्लिनिक और 56 शहरी क्लिनिक स्थापित किए हैं। इनमें पैनल अधिवक्ता या पैरा लीगल वॉलंटियर निर्धारित तारीखों पर बैठक लेकर आगंतुकों को विधिक सहायता प्रदान करते हैं।
न्यायालयों में स्थायी कानूनी सहायता क्लिनिक
सभी विधि महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों में स्थायी कानूनी सहायता क्लिनिक घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत नियुक्त संरक्षण अधिकारियों के कार्यालयों में कानूनी सहायता क्लिनिक
गरीबों को विधिक सेवाएं प्रदान करने हेतु NGO, विभिन्न सरकारी विभाग, विश्वविद्यालय आदि के साथ समन्वय के लिए उठाए गए कदम
कानून विभाग / संस्थान / महाविद्यालय
विधि विभागों/संस्थानों/महाविद्यालयों के अध्यक्ष/निदेशक/प्राचार्यों से अनुरोध किया गया है कि वे अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण एवं उप-मंडल विधिक सेवा समितियों द्वारा आयोजित कानूनी साक्षरता/ कानूनी जागरूकता शिविरों में भाग लेने की अनुमति देँ, ताकि वे जन-सेवा का अनुभव प्राप्त कर सकें।